ग्रामीणों का दावा है कि बीते 4 दिनों से नदी में 5-6 शव बह रहे हैं। ग्रामीण राजेश यादव ने कहा, 'शवों को आसानी से नदी में बहते हुए देखा जा सकता है। हम यह नहीं जानते कि बहते हुए शव कोरोना संक्रमित लोगों के हैं या नहीं। लेकिन हमने पहली बार नदी में शवों को बहते हुए देखा है। हम बच्चों को बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं क्योंकि हमें गांव में कोरोना महामारी के फैलने का डर सता रहा है।' हालांकि जिलाधिकारी संजय कुमार मिश्रा इन दावों को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि नदी में सिर्फ दो शव बहते हुए पाए गए हैं और ये लोग पड़ोस के गांवों के थे, जिनकी कैंसर के चलते मौत हुई थी।
उन्होंने कहा कि नदियों में शवों को प्रवाहित करने की परंपरा रही है। आम तौर पर लोग शवों को प्रवाहित करने के लिए के नदी में जाते रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते आसपास की नदियों में ही शवों को प्रवाहित कर दे रहे हैं। अब तक हमें दो शव मिले हैं और हमने उन्हें दफन कर दिया है। अब हम यह जांच करने में जुटे हैं कि क्या नदी में कुछ और शव तैर रहे हैं या नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि नदी की सफाई करानी चाहिए क्योंकि उनके लिए पीने के पानी का एकमात्र स्रोत केन नदी ही है। ग्रामीण राजा लोध ने कहा, 'हम नदी के पानी का इस्तेमाल पीने और खाना बनाने के लिए करते हैं। अब हमारे लिए नदी के पानी का इस्तेमाल करना मुश्किल हो गया है। प्रशासन को नदी की सफाई करानी चाहिए।'
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