केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को लिखे पत्र में फिक्की के चेयरमैन उदय शंकर ने कहा कि अकेडमिक प्रगति के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था अपनानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि परीक्षाओं को टालने से न सिर्फ उन छात्रों को प्रभावित करेगा जो देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश लेना चाहते हैं बल्कि इससे वे छात्र भी प्रभावित होंगे जो विदेश में उच्च संस्थानों में प्रवेश लेना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "देश में कोरोना मामलों की संख्या अभी भी बहुत ज्यादा है। ऐसी स्थिति भौतिक रूप से परीक्षा कराने लायक नहीं है। लेकिन ऑनलाइन परीक्षा कराना इंफ्रस्ट्रक्चर की कमी के चलते बिल्कु अव्यवहारिक हैं। सबसे खास बता है कि परीक्षाओं में जितना देर होगी छात्रों में उतना ही तनाव बढ़ेगा। इसी को देखते हुए फिक्की परीक्षाओं को रद्द करने की जोरदार अपील करता है।"
हर साल करीब 5 लाख छात्र 12वीं के बाद विदेश पढ़ने जाते हैं। इस साल दो लाख छात्रों को तो विदेश में एउमिशन का ऑफर भी मिल चुका है। फिक्की अध्यक्ष ने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय मुश्किल की एडमिशन की डेट बढ़ाएंगे। इसलिए जिन छात्रों को एडमिशन मिल चुका होगा उन्हें आगे की प्रक्रिया पूरी करने के लिए जाना होगा। यदि छात्रों का रिजल्ट जुलाई मध्य तक आ जाता है तो आराम से उच्च शिक्षा संस्थानों में वे एडमिशन ले सकेंगे।
उन्होंने कहा कि सीबीएसई को चाहिए कि वे स्कूलों को अनुमति दें कि पूरे साल हुए विभिन्न टेस्ट व परीक्षाओं के आधार पर छात्रों की मार्किग करें।
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