इसकी वजह बताई जा रही है कि कि कोविड वार्ड में ऑक्सीजन का फ्लो अच्छा नहीं है। ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ाया नहीं जा सकता है। इस तरह के हालात तब हैं, जब सबसे अधिक ऑक्सीजन की सप्लाई एसकेएमसीएच में की जा रही है। सबसे अधिक रेमडेसिविर की सप्लाई भी इस अस्पताल में की जाती है। बावजूद कोरोना मरीजों को सुविधा नहीं दी जा रही है। एसकेएमसीएच में परिजन का इलाज करा रहे औराई निवासी राजन ने बताया कि सभी मरीजों को एक ही फ्लो में ऑक्सीजन दिया जाता है। चाहे मरीज अति गंभीर है या सामान्य है। कितना भी कहने पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। फ्लो नहीं बढ़ाया जता है। उलटे कहा जाता है कि आपके मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता है तो आप ऑक्सीजन लेकर आइए।
सबसे अधिक मिलता है ऑक्सीजन
जिला प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, एसकेएमसीएच को सबसे अधिक ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है। यहां 350 से 400 सिलेंडर हर दिन मुहैया कराया जा रहा है। वैसे एसकेएमसीएच प्रबंधक का कहना है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में सुधार हुआ है, लेकिन जितना डिमांड है, उतना अब भी नहीं मिल रहा है। एसकेएमसीएच प्रबंधन के अनुसार, यहां सबसे अधिक मरीज हैं। इसके हिसाब से यहां 500 सिलेंडर की आवश्यकता है।
मरीज अगर गंभीर है तो सिलेंडर साथ लेकर आइए
बैरिया के मरीज संतोष कुमार की गुरुवार की रात अचानक तबीयत बिगड़ने लगी। उसे चिकित्सकों ने एसकेएमसीएच जाने की सलाह दी। रात बारह बजे एसकेएमसीएच कंट्रोल रूम 0621-2231202 पर परिजनों ने फोन किया। कंट्रोल रूम में बैठे अधिकारी ने बताया कि यदि आपके पास सिलेंडर है तभी आइए, क्योंकि यहां ऑक्सीजन का फ्लो कम रहता है। ऑक्सीजन की कमी होने पर फ्लो नहीं बढ़ाया जाता है।
वेंटीलेटर का नहीं किया जा रहा इस्तेमाल
एसकेएमसीएच की कोरोना रिपोट के अनुसार, बीते 10 दिनों से सिर्फ एक ही वेंटीलेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार वेंटीलेटर चलाने के लिए ऑक्सीजन की काफी खपत होती है और फ्लो हमेशा अधिक चाहिए, जो यहां नहीं है। इस कारण वेंटीलेटर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
सभी मरीजों को सिलेंडर लाने के लिए नहीं कहा जाता है। एसकेएमसीएच में ऑक्सीजन का फ्लो कम है। कई बार मरीज के परिजन चाहते हैं कि उनके मरीज को अधिक फ्लो में ऑक्सीजन मिले। जिन मरीजों के ऑक्सीजन का स्तर कम रहता है, उनके परिजन अपने साथ सिलेंडर लेकर आते हैं। रात में अगर यह कहा जाता है कि सिलेंडर लेकर आइए तो यह गलत है मैं मामले की जानकारी करता हूं।
-डॉ. बीएस झा, अधीक्षक, एसकेएमसीएच
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