मध्यप्रदेश में अब ग्राहकों को बिल्डर के पास बार-बार चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अब बिल्डर जितना काम करेगा, उसे ग्राहक उतना ही पैसा देगा। दरअसल, महाराष्ट्र और गुजरात की तर्ज पर रियल एस्टेट नियामक (रेरा) मध्यप्रदेश भी कड़े नियम बनाने की तैयारी कर रहा है। इसमें बुकिंग राशि से लेकर हर चरण के हिसाब से पैसे देने का जिक्र भी किया जाएगा। बता दें कि स्पष्ट नियम नहीं होने से कई बार ग्राहक बुकिंग के वक्त ही बड़ी रकम दे देते हैं। ऐसे में जब बिल्डर काम शुरू नहीं करता तो ग्राहकों को परेशान होना पड़ता है।
रेरा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, नए नियमों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बिल्डर जो प्रोजेक्ट बना रहा है, उसे पूरा करने के लिए उसके पास कैश फ्लो बना रहे। दरअसल, प्रोजेक्ट को अनुमति देने से पहले बिल्डर के आर्थिक सामर्थ्य का आकलन भी किया जाएगा। यह रिपोर्ट ही नए प्रोजेक्ट के पंजीयन का आधार बनेगी। रेरा के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने पर आर्थिक सामर्थ्य की रिपोर्ट बनाने वाले अधिकारी की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी।
सूत्रों का कहना है कि अब बिल्डर के नाम पर ही जमीन का टाइटल होगा। दरअसल, अब तक बिल्डर ज्वाइंट वेंचर में प्रोजेक्ट लाते थे, जिसमें जमीन किसी और की होती थी और उसे बनाता कोई और था। महज एग्रीमेंट के आधार पर बिल्डर बुकिंग लेने लगता था। बहुचर्चित आम्रपाली बिल्डर के मामले में यही देखने को मिला, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आपत्ति जताई थी। ऐसे में रेरा नए नियमों में यह भी सुनिश्चित करेगा कि जो बिल्डर प्रोजेक्ट ला रहा है, जमीन का टाइटल उसके नाम पर ही होना चाहिए। टाइटल की जांच के लिए भी एक जिम्मेदार अधिकारी नियुक्त किया गया है।
एक जुलाई से आ सकती है नई गाइडलाइन
बता दें कि प्रॉपर्टी के सौदों को लेकर पुरानी कलेक्टर गाइडलाइन 30 जून तक लागू है। एक जुलाई से नई गाइडलाइन आ सकती है, जिसमें 20 फीसदी तक दाम बढ़ाए जाने का प्रस्ताव है। हालांकि, रियल स्टेट से जुड़े लोगों ने सरकार से मांग की है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर पुरानी गाइडलाइन को ही लागू रखा जाए।
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