गांव में रहकर लोगों का जीवन बदल रहे सुरजीत लोधी, मिला ब्रिटेन का प्रतिष्ठित डायना अवार्ड


कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) की ओर से संचालित मध्‍य प्रदेश में विदिशा जिले के गंजबासौदा प्रखंड के शहवा बाल मित्र ग्राम (बीएमजी) के पूर्व बाल मजदूर और वर्तमान में राष्‍ट्रीय बाल पंचायत के उपाध्‍यक्ष को डायना अवार्ड से सम्‍मानित किया गया है। 17 वर्षीय सुरजीत लोधी को यह अवार्ड अपने गांव को नशामुक्‍त करने और कमजोर तबकों के बच्‍चों को शिक्षित करने को लेकर दिया गया है।

डायना पुरस्कार वेल्स की दिवंगत राजकुमारी डायना की स्मृति में स्थापित किया गया है। यह पुरस्कार इसी नाम के चैरिटी द्वारा प्रदान किया जाता है। इसे दिवंगत राजकुमारी के दोनों बेटों ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज और ड्यूक ऑफ ससेक्स का समर्थन प्राप्त है। सुरजीत दुनिया के उन 25 बच्‍चों में शामिल हैं जिन्‍हें इस गौरवशाली अवार्ड से सम्‍मानित किया गया। सुरजीत के प्रमाणपत्र में इस बात का विशेष रूप से उल्‍लेख किया गया है कि दुनिया बदलने की दिशा में उसने नई पीढ़़ी को प्रेरित और गोलबंद करने का महत्वपूर्ण प्रयास  किया है। 

गौरतलब है कि सुरजीत केएससीएफ द्वारा संचालित बीएमजी की चुनी हुई बाल पंचायत के ऐसे तीसरे सदस्‍य हैं जिसे डायना अवार्ड से सम्‍मानित किया गया है। सुरजीत से पहले यह अवार्ड झारखंड की चम्‍पा कुमारी और नीरज मुर्मू को मिल चुका है। सुरजीत लोधी का जन्‍म पिछड़ी जाति के एक गरीब परिवार में हुआ। 

सुरजीत ने जीवन को बदलने का काम किया
सुरजीत के प्रयासों ने बच्चों और महिलाओं के जीवन में स्‍थाई परिवर्तन लाने का काम किया है। उसके गांव के अधिकांश बच्चे स्‍कूलों नहीं जाते थे और वे अपने माता-पिता के साथ काम करते थे। दूसरी ओर गांव के अधिकांश पुरुष शराब पर अपनी सारी कमाई खर्च कर डालते और नशे में पत्नी और बच्चों के साथ बुरा सलूक करते थे।

क्या होता बीएमजी का मतलब?
बीएमजी बाल मित्र समाज बनाने की नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी की एक पहल है। बीएमजी ऐसे गांवों को कहते हैं जहां के बच्‍चे बाल मजदूरी नहीं करते हों और वे सभी स्‍कूल जाते हों। वहां एक चुनी हुई बाल पंचायत होती है, जिसे ग्राम पंचायत मान्यता देती है। ग्राम पंचायत के निर्णयों में बच्चों का प्रतिनिधित्व होता है। 

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