दरअसल शिकायत मिली थी की जबलपुर से रतलाम भेजा गया चावल खराब है. जिसके बाद जब रतलाम के गोदामों में रखे चावल की जांच की गई तो पाया गया कि करीब 2600 टन चावल अमानक है. मामले में जिला आपूर्ति अधिकारी केसी उपाध्याय का कहना है कि मामले की जांच चल रही है लेकिन अभी तक इस चावल को बांटा नहीं गया था. इस मामले में जब प्रारंभिक जांच हुई तो चावल में इल्ली और जाले लगे हुए थे. वहीं मामले में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह का कहना है कि घटिया चावल सप्लाई को लेकर जांच की जा रही है. 2020 में जब जानकारी मिली थी, तब 6 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई थी. मंत्री का कहना है कि इस मामले में जांच के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी.
जानवरों के खाने लायक चावल, गरीबों को क्यों : कमलनाथ
इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने भी ट्वीट कर सरकार को घेरा है. कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, अब फिर प्रदेश में ग़रीबों को इल्ली- फ़ंगस -घुन लगा चावल वितरण का मामला सामने आया है? आख़िर शिवराज सरकार ग़रीबों का क्यों बार-बार मज़ाक़ उड़ा रही है? क्यों जानवरो के खाने लायक़ चावल को ग़रीबों को वितरण के लिये भेजा जा रहा है ? वहीं कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने मामले में सरकार पर माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. कुणाल चौधरी ने कहा कि यह माफियाओं की सरकार है जो जानवरों का अनाज इंसानों को खिला रही है.
कैबिनेट मंत्री ने किया सरकार का बचाव
दूसरी तरफ मामले में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने सरकार का बचाव किया है. विश्वास सारंग ने कहा कि केवल आरोप लगाने से नहीं होगा. यह बीजेपी की सरकार है इसीलिए यह गड़बड़ी पकड़ी जा रही है. सारंग ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में माफियाओं को बढ़ाने का काम किया गया. 2020 में भी इस तरह का अमानक चावल पकड़ा गया था. उसमें भी जबलपुर से ही चावल की सप्लाई का मामला सामने आया था, इसमें अकेले भोपाल में करीब 70 मेट्रिक टन चावल घटिया किस्म का मिला था.
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