दिल्लीवालों को केंद्र की बड़ी राहत, अब लाइसेंस के लिए ड्राइविंग टेस्ट की जरूरत नहीं!


ड्राइविंग लाइसेंस के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा नियम में किए गए एक नए संशोधन के अनुसार, अब दिल्लीवासियों को ड्राइविंग टेस्ट के लिए आरटीओ जाने की जरूरत नहीं है। इसमें कहा गया है कि लाइसेंस प्राप्त करने के लिए ड्राइविंग टेस्ट पास करना 'अनिवार्य नहीं' है।

रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) में लाइसेंस हासिल करने के लिए ड्राइविंग टेस्ट पास करने की कोशिश के दौरान घबराते हुए लाइन में खड़े होने के दिन अब गए। दिल्लीवासियों को अब इस संघर्ष से गुजरने की जरूरत नहीं है क्योंकि केंद्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा नियम में किए गए नए संशोधन में कहा गया है कि लाइसेंस प्राप्त करने के लिए ड्राइविंग टेस्ट पास करना 'अनिवार्य नहीं' है! 

आपका हैरान होना ठीक है, जबकि राजधानी में कई लोग इस कदम को एक राहत के रूप में ले रहे हैं, लेकिन जीवन को आसान बनाने के लिए जो बदलाव किया गया है, उसके अन्य परिणाम भी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

आम आदमी का क्या नजरिया है?

अब आपका लाइसेंस प्राप्त करना आसान हो सकता है। हालांकि, सड़कों पर वाहन चलाने वाले लोगों की संख्या "डरावनी" है। पटपड़गंज की एक उद्यमी गीता वर्मा कहती हैं कि इस नियम से सड़क पर एक अराजक स्थिति उत्पन्न होने जा रही है! मैं इससे पहले से ही डरी हुई हूं क्योंकि मुझे हर दिन काम से बाहर निकलना होता है और अनलॉक में अब सब ही रोड पर होंगे! यह इतना जोखिम भरा है क्योंकि लाइसेंस प्राप्त करना बहुत आसान हो गया है।

दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के छात्र अर्णव राजपाल को उम्मीद है कि नया नियम और स्थापित की जा रही प्रणाली ड्राइवरों को और अधिक जिम्मेदार बनाकर ट्रैफिक को कंट्रोल करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि इसमें कुछ एकरूपता होनी चाहिए ताकि सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवेदक का ड्राइविंग स्किल लेवल एक निश्चित सीमा से ऊपर हो। पहले, कई आरटीओ थे और उपलब्ध स्थान और संसाधनों के अनुसार सभी का ड्राइविंग टेस्ट होता था। फिर भी कुछ लोग उचित टेस्ट के लिए हाजिर हुए बिना ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर सकते हैं, इसलिए ड्राइविंग नियम नहीं बल्कि ड्राइवरों को अपडेट होने की आवश्यकता है। 

व्यवसाय से बाहर जाएंगे कुछ ड्राइविंग स्कूल?

अब जिन प्रशिक्षण केंद्रों को अनुमति दी जाएगी, उनके लिए सिमुलेटर और एक डेडिकेटिड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक की जरूरत होगी। इस पर पीतमपुरा में ड्राइविंग स्कूल के मालिक अनिल कुमार का कहना है कि इस फैसले ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया है। अधिकारियों ने टेस्ट के लिए दो एकड़ का ट्रैक मांगा है और हम इसकी व्यवस्था नहीं कर सकते और अगर ऐसा है तो हमारे और अन्य छोटे ड्राइविंग स्कूलों में कोई नहीं आएगा। हमारा इस व्यवसाय में टिके रहना कठिन होगा। देखते हैं कि क्या हम कारोबार को जारी रखने में सक्षम हैं या बदलने की जरूरत है।

द्वारका में एक ड्राइविंग स्कूल के मालिक विजय कुमार को लगता है कि केवल ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनिंग और लाइसेंस प्राप्त करना स्वतंत्र रूप से ड्राइविंग शुरू करने के लिए काफी नहीं है। ड्राइविंग के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है। बहुत बार लोग ड्राइविंग स्कूलों से ड्राइविंग सीखते हैं, लेकिन फिर भी वे सड़क पर गाड़ी चलाने के लिए तैयार नहीं होते हैं। ड्राइविंग स्कूल में बस बेसिक्स क्लियर होते हैं, ऑन-रोड एक्सपीरियंस तो चाहिए। इसलिए किसी भी ट्रेनिंग के बाद ऑन-रोड टेस्ट होना चाहिए। 

विशेषज्ञ की राय

छह साल से अधिक समय से दिल्ली में सड़क सुरक्षा अधिकारी राज कुमार यादव कहते हैं कि इस तरह का निर्णय अपने फायदे और नुकसान के साथ आता है। वह बताते हैं, “यह इस मायने में अच्छा है कि निजी ड्राइविंग स्कूल होंगे जो प्रतिष्ठित होंगे, जहां लोग ट्रेनिंग ले सकते हैं। यह निश्चित रूप से उन्हें बेहतर ड्राइविंग करने में मदद करेगा, लेकिन हां, एक तथ्य यह भी है कि ये स्कूल केवल औपचारिकता के रूप में ट्रेनिंग देंगे, जबकि पहले आरटीओ में उन विवरणों को ध्यान में रखा गया था। इसलिए, नया नियम किसी भी तरह से बदल सकता है।”

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