पहले मां फिर बेटे के इलाज में लापरवाही, अस्पताल के बाहर ही तड़पता रहा, परिवार में दो दिन में दूसरी मौत


गाजियाबाद में जिला अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर गुरुवार शाम घायल युवक तड़पता रहा, लेकिन समय से उपचार नहीं मिलने के बाद उसकी मौत हो गई। करीब एक घंटे के इंतजार के बाद परिजनों ने स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत की। इसके बाद मरीज को किसी तरह भर्ती किया गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

दो दिन पहले युवक की मां की बीमारी से मौत हो गई थी, उनकी अस्थियां लेकर युवक घर वापस लौट रहे थे। इसी दौरान हादसा हुआ। गौशाला फाटक के पास रहने वाले अंकुश गोयल ने बताया कि उनके साले राजेश कुमार गोयल (30) विजयनगर में रहते थे। राजेश एक निजी शिक्षण संस्था में शिक्षक थे। मंगलवार को उनकी माता की तबीयत खराब होने के चलते मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप है कि उनकी माता की मौत भी जिला अस्पताल की लापरवाही से हुई है।

बुधवार को उनका अंतिम संस्कार छिजारसी के पास श्मशान घाट पर किया गया था। गुरुवार को राजेश अंतिम संस्कार स्थल से अस्थियां लेने गए थे। वह अपने साथी के साथ बाइक पर थे। दोपहर करीब तीन बजे वहां से घर लौट रहे थे। इसी दौरान दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर सड़क हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गए।

उनके साथी ने परिजनों को सूचना दी। परिजन मौके पर पहुंचे और दोनों घायलों को जिला अस्पताल लेकर आ गए। अंकुश गोयल ने बताया कि राजेश के सिर और पेट से खून बह रहा था। ऐसे में इमरजेंसी के बाद स्ट्रेचर पर लेटा दिया गया और चिकित्स्कों को बुलाया गया।

प्राथमिक जांच करके चिकित्सकों ने राजेश को अन्य अस्पताल ले जाने के लिए बोल दिया। परिजनों ने गुहार लगाई कि जब तक एंबुलेंस आती है, तब तक उनको ऑक्सीजन और आवश्यक उपचार कर दिए जाएं, जिससे हालत स्थिर रहे। चिकित्सकों ने उपचार करने से इंकार कर दिया। इसकी सूचना परिजनों ने स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग को दी और उनसे शिकायत की।

इसके बाद चिकित्सका उपचार के लिए दौड़ पड़े। करीब एक घंटे बाद चिकित्सकों ने उनका उपचार शुरू किया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। पांच मिनट बाद ही उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि यदि चिकित्सक समय से उपचार दे देते तो राजेश की जान बच जाती। 

सीएमएस डॉक्टर अनुराग भार्गव ने कहा कि मरीज हालत गंभीर थी, इसलिए उनको वेंटिलेटर की आवश्यकता थी। हालत बिगड़ने से पहले इमरजेंसी में भर्ती कर लिया गया था। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।  

एक घंटे तक भी नहीं पहुंची एंबुलेंस
अंकुश ने बताया कि चिकित्सकों के रेफर होने की जानकारी पर 108 एंबुलेंस पर फोन किया गया, लेकिन आधा घंटे तक एंबुलेंस नहीं आ सकी। इसके बाद उन्होंने निजी एंबुलेंस बुलवाई, लेकिन तब तक अस्पताल में भर्ती कर लिया गया था। 

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