पाम ऑयल के मामले में भारत आत्मनिर्भर बनने की तैयारी में है। इसके लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक मिशन को मंजूरी भी दे दी है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पाम ऑयल के लिए एक नये मिशन की शुरुआत को मंजूरी दी गई है। इस मिशन का नाम राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) है।
क्या है मिशन: यह केंद्र द्वारा प्रायोजित एक नई योजना है और इसका फोकस पूर्वोत्तर के क्षेत्रों के अलावा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर है। दरअसल, खाद्य तेलों की निर्भरता बड़े पैमाने पर आयात पर टिकी है, इसलिए देश में ही खाद्य तेलों के उत्पादन में तेजी लाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए पाम ऑयल का रकबा और पैदावार बढ़ाना बहुत अहम है।
कितने रुपए होंगे खर्च: इस योजना के लिए 11,040 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है, जिसमें से केंद्र सरकार 8,844 करोड़ रुपए का वहन करेगी। इसमें 2,196 करोड़ रुपए राज्यों को वहन करना है। इसमें आय से अधिक खर्च होने की स्थिति में उस घाटे की भरपाई करने की भी व्यवस्था शामिल की गई है।
इस योजना के तहत, साल 2025-26 तक पाम ऑयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर बढ़ाने का प्रस्ताव है। इस तरह 10 लाख हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) की पैदावार 2025-26 तक 11.20 लाख टन और 2029-30 तक 28 लाख टन तक पहुंच जाएगी।
कितना आयात होता है पाम ऑयल: दुनिया के प्रमुख वनस्पति तेल खरीदार भारत ने जुलाई, 2021 में 4.65 लाख टन पाम तेल का आयात किया था। देश के कुल वनस्पति तेल आयात में पाम तेल का हिस्सा 60 प्रतिशत से अधिक है। भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात करता है। अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल सहित थोड़ी मात्रा में कच्चा हल्का तेल तथा यूक्रेन और रूस से सूरजमुखी तेल का आयात किया जाता है।
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