मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में ट्यूशन फीस के नाम पर प्राइवेट स्कूलों के की मनमानी के खिलाफ दायर याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं.
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में ट्यूशन फीस के नाम पर प्राइवेट स्कूलों के की मनमानी के खिलाफ दायर याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक अब मध्यप्रदेश में ट्यूशन फीस के नाम पर प्राइवेट स्कूलों के की मनमानी नहीं चलेगी.
कोरोना काल के दौरान स्कूल संचालकों की ओर से छात्रों से किसी भी मद में ली जाने वाली फीस की पूरी जानकारी राज्य के शिक्षा विभाग को देनी होगी. निर्देशों के अनुसार, शिक्षा विभाग को पूरी जानकारी लेकर ऑनलाइन जमा करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लिए जाने के पहले के आदेश को लेकर दिया है.
स्कूलों को बताना होगा किस मद में ले रहे हैं फीस
28 दिन में हल करनी होगी पेरेंट्स की शिकायत
कोर्ट ने कहा, किसी भी अभिभावक को स्कूल से कोई शिकायत है, तो वह जिला समिति के सामने अपनी बात रखेगा. समिति को 4 सप्ताह यानी कि 28 दिन में शिकायत का समाधान करना होगा. कोर्ट ने कहा, पूर्व में पालकों के द्वारा की जाने वाली शिकायत पर जिला प्रशासन गंभीर नहीं होता था.
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में प्राइवेट स्कूलों को फीस को लेकर दिए हुए आदेश का हवाला देते हुए यह फैसला सुनाया. राजस्थान में निजी स्कूलों को पूरी फीस में से 15% की कटौती करने के निर्देश दिए थे.जागृत पालक संघ मध्यप्रदेश ने इस संबंध में याचिका दायर की थी. संघ के वकील अभिनव मल्होत्रा, मयंक क्षीरसागर और चंचल गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी.
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