याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी ने कहा कि पीएचई विभाग की संविदा कर्मचारी सुषमा द्विवेदी ने शहडोल जिले के उमरिया में पीएचई कार्यालय में कार्यकारी अभियंता के छह फरवरी 2018 के आदेश को चुनौती दी थी. जिसमें उन्हें मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं दिया गया था.
विभाग ने खारिज किया था मातृत्व अवकाश का आवेदन
उन्होंने कहा कि विभाग ने द्विवेदी का एक दिसबर 2016 से 31 मई 2017 तक मातृत्व अवकाश का आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया कि वह एक संविदा कर्मचारी थी और अनुबंध में उसे मातृत्व अवकाश देने के लिए कोई शर्त नहीं थी. त्रिवेदी ने अदालत में इस संबंध में शीर्ष अदालत और मप्र उच्च न्यायालय के पूर्व में दिए गए निर्देशों का तर्क देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता भी मातृत्व अवकाश पाने की हकदार है.
संविदा रोजगार सहायकों को हटाए जाने पर लगी रोक
हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिये संविदा रोजगार सहायकों को हटाए जाने पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब-तलब के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है. न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता सीधी निवासी शत्रुघन जायसवाल सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता अभय पांडे ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता एक दशक पहले विधिसम्मत तरीके से संविदा आधार पर रोजगार सहायक नियुक्त किए गए थे.
सरकार ने मनमाने तरीके से हटाए जाने का किया आदेश जारी
नियमानुसार उन्हें बिना सुनवाई का अवसर दिए निकाला नहीं जा सकता. इसके बावजूद सरकार ने इसी महीने उन्हे मनमाने तरीके से हटाए जाने का आदेश जारी कर दिया है. इस वजह से याचिकाकर्ता बेरोजगार हो गए हैं. नैसर्गिक न्याय-सिद्धांत के अनुसार पहले चरण में नोटिस जारी किया जाना चाहिए. साथ ही जवाब मिलने के बाद ही कोई आदेश जारी करना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. लिहाजा, हटाए जाने का आदेश चुनौती के योग्य है. हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद अंतरिम राहत प्रदान कर दी है.
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