वायनाड स्थित कोविड कंट्रोल रूम में काम कर रहे चिकित्सक ए सुकुमारन ने बताया है कि 'किसी भी वायरस के यह सामान्य लक्षण हैं कि वो अलग-अलग वेभ बनकर फैले। ऐसे में केरल को विशेष सावधानी बरतने की जरुरत है। उन्होंने आशंका जताई है कि स्पैनिश फ्लू की तीन लहरों को हमने देखा था लेकिन कोरोना के कई लहर आ सकते हैं।'
आपको बता दें कि केरल में सरकारी चिकित्सकों के एक संगठन ने मंगलवार को राज्य की वाम सरकार से आग्रह किया कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए संक्रमितों के संपर्कों का पता लगाने और संक्रमित व्यक्ति को 17 दिन तक पृथक-वास में रखने के नियम को सख्ती से लागू किया जाए। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को दिए गए अपने सुझावों में केरल सरकारी चिकित्सा अधिकारी संघ (केजीएमओए) ने कहा कि मौजूदा सामाजिक-आर्थिक कारकों के मद्देनजर और इस तथ्य पर विचार करते हुए लॉकडाउन की मौजूदा स्थिति को खत्म करना चाहिए कि कोविड के मामले अभी स्थिर हैं, और राज्य की 55 प्रतिशत आबादी ने रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।
चिकित्सकों के संगठन ने ऐसे वक्त में सुझाव दिए हैं जब दक्षिण राज्य कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मशक्कत कर रहा है। भारत में सामने आने वाले संक्रमण के नए मामलों में से आधे से ज्यादा केरल से हैं। संगठन ने कहा कि लॉकडाउन तब लागू किया गया जब कोविड की दूसरी लहर चरम पर थी जिसने निश्चित रूप से मामलों को कम करने में मदद की।
केजीएमओए ने कहा कि 'कोविड लहर अभी स्थिर चरण में हैं और नए मामलों की संख्या और संक्रमण मुक्त होने वाले मरीजों की संख्या तकरीबन समान है। हमारी 55 फीसदी आबादी ने कुछ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है, चाहे वह टीकाकरण से की हो या क्लिनिकल/ उपक्लिनिकल संक्रमण के जरिए हो। इस पर और सामाजिक-आर्थिक कारकों पर विचार करते हुए हमारा मानना है कि लॉकडाउन की मौजूदा रणनीति को जारी रखने की सलाह नहीं दी जा सकती है।'
संगठन की तरफ से यह भी कहा गया है कि सुगम और प्रभावी टीकाकरण ही इस महामारी को रोकने का बेहतरीन तरीका है। संगठन ने यह भी कहा कि सभी संक्रमितों को 17 दिनों के पृथक-वास में रखा जाना चाहिए और जिन लोगों में कोविड जैसे लक्षण हैं, उन्हें भी पृथक किया जाना चाहिए भले ही एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच में उनके संक्रमित होने की पुष्टि नहीं हुई हो तथा लक्षण रहने पर दोबारा जांच करानी चाहिए। पिछले हफ्ते लगातार छह दिन तक रोज़ाना केरल में कोरोना वायरस के 20,000 से ज्यादा मामले सामने आए थे।
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