ग्वालियर पुलिस ने दंगा, मारपीट, लोक सेवकों के काम में बाधा डालने, आपराधिक बल का उपयोग करने और 150 लोगों के खिलाफ हंगामा करने के मामले दर्ज किए हैं.
जाति को लेकर विवाद
ग्वालियर और मुरैना में पट्टियों पर ‘गुर्जर’ लिखे जाने के बाद राजपूत और गुर्जर समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया है. ऐतिहासिक तथ्यों पर और स्पष्टता के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ में एक याचिका दायर की गई है. दरअसल गुर्जर और राजपूत दोनों ही मिहिर भोज को अपनी जाति का बताते हैं.
सरकारी वकील एमपीएस रघुवंशी के मुताबिक“अदालत ने एक समिति बनाई जिसमें दोनों समुदायों के एक-एक प्रतिनिधि, पुलिस महानिरीक्षक, ग्वालियर के पुलिस आयुक्त और विषय विशेषज्ञ शामिल हैं. अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अंतिम फैसला आने तक पट्टिका को ढका जाए.”
सुरक्षा बढ़ाई गई
प्रतिमा की चौबीसों घंटे सुरक्षा के लिए दंगा नियंत्रण वाहनों के साथ प्रतिमा के पास कुल 20 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है. दोनों जिलों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत सख्त पाबंदियां भी लगाई गई हैं और लोगों को सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की भड़काऊ पोस्ट डालने से परहेज करने का भी निर्देश दिया गया है.
ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने बताया, “एक समुदाय के 150 से अधिक लोगों ने शनिवार रात कम्पू क्षेत्र में पट्टिका का अनावरण करने की कोशिश की और प्रतिमा के सामने हंगामा किया. हमने किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा घेरा बढ़ाने का फैसला किया है.”
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