रूसी अखबार कोमर्सेंट से बात करते हुए वर्मा ने कहा है कि भारत और रूस के कई मकसद एक से हैं। भारत भले ही क्वाड जैसे गठबंधन का हिस्सा है जिसमें अमेरिका भी शामिल है लेकिन हम रूस के साथ स्वतंत्र रूप से काम करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा है कि हमने रूस, भारत और चीन (RIC) साझेदारी की भी मांग की है। भारत अपने सुरक्षा और विदेश नीति के हितों के मुताबिक तमाम विकल्पों का इस्तेमाल करेगा।
भारत रूस संबंधों को लेकर वर्मा ने कहा है कि रूस सालों से भारत का सबसे बड़ा रक्षा भागीदार बना हुआ हुआ है और 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई है। S-400 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम इसी भरोसे का नतीजा है। इसकी पहली डिलीवरी इसी साल होनी है।
अफगानिस्तान के हालात पर उन्होंने कहा है कि तालिबान की वापसी पर भारत और रूस के रास्ते अलग हैं लेकिन गोल एक ही है। पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के साथ ही दोनों देशों के टॉप डिप्लोमेट्स ने अफगानिस्तान को लेकर कई बार बात की है। हम मॉस्को फॉर्मेट में साथ बैठकर मसले पर बातचीत कर रहे हैं। चीन को लेकर वर्मा ने कहा है कि चीन ने यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश की थी। भारत मामले का बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण समाधान चाहता है।
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