बात दें कि मध्य प्रदेश में भी इन दिनों डेंगू (MP Dengue) का कहर देखने को मिल रहा है. अब इस बीमारी से ब्लैक फंगस का डर भी सताने लगा है. जबलपुर मेडिकल कॉलेज (Jabalpur Medical College) की ईएनटी विभाग की हेड डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि डेंगू पीड़ित मरीज एक हफ्ते पहले अस्पताल में आया था. 40 साल के शख्स ने घर पर ही रहकर पास के डॉक्टर से अपना इलाज कराया था. लेकिन बाद में उसकी आंखें लाल होने लगीं. नेत्र विशेषज्ञ भी कुछ नहीं समझ सका. जिसके बाद वह दूसरे डॉक्टर के पास गया. वहां से उसे ENT विभाग में रेफर कर दिया गया.
डेंगू के मरीज में ब्लैक फंगस के लक्षण
डॉक्टर सचदेवा का कहना है कि मरीज ने पहले डेंगू का इलाज कराया था. इस दौरान उसे ब्लैक फंगस की दवा भी दी गई थी. अब उसका डेंगू पूरी तरह से ठीक है. उसकी प्लेटिलेट्स भी नॉर्मल हैं. डॉक्टर का कहना है कि जांच के बाद उसका ऑपरेशन किया जाएगा. डॉक्टर ने बताया कि नांक के रास्ते लेजर ऑपरेशन के जरिए आंखों के नीचे भरा मवाद निकाला जाएगा. डेंगू बीमारी में ब्लैक फंगस का मामला सामने आने से डॉक्टर काफी हैरान हैं. उनका कहना है कि मरीज को कोरोना भी नहीं हुआ और न ही उसे शुगर है. फिर भी इस तरह का मामला सामने आया है. साथ ही उन्होंने बताया कि अगस्त तक ब्लैक फंगस पूरी तरह से ठीक हो जाना था. लेकिन अब इस मामले ने एकबार फिर चिंता बढा दी है.
‘किसी दवा का हो सकता है रिएक्शन’
कई डॉक्टर्स का मानना है कि डेंगू के इलाज के दौरान मोहल्ले के डॉक्टर ने कोई ऐसी दवा दी होगी, जो रिएक्ट कर गई है. यही ब्लैक फंगस की मुख्य वजह हो सकती है. डॉक्टर्स को लग रहा है कि डेंगू से मरीज मरीज में कोरोना के हल्के लक्षम भी हो सकेत हैं. बता दें कि कोरोना के बाद से मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग में ब्लैक फंगस के 14 मरीजों का इलाज अब भी चल रहा है. मई के बाद से सामने आई इस बीमारी की वजह से मेडिकल कॉलेज में मरीजों का आंकड़ा 140 तक हो गया था.
मेडिकल क़लेज के डॉक्टर्स का कहना है कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा होता है. जिन मरीजों को स्टेरॉयड या हाईडोज दी जाती हैं, वह अस्थाई तौर पर डायबिटिक हो जाते हैं. इसकी वजह से भी ब्लैक फंगस हो जाता है.
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