भोपालः सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आज बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि प्रदेश के दो बड़े महानगरों राजधानी भोपाल और इंदौर में कमिश्नर सिस्टम लागू किया जाएगा. कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है.सीएम शिवराज ने कहा कि शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, भौगोलिक स्थितियां बदल रही हैं. ऐसे में कानून व्यवस्था के सामने नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं. ऐसे में भोपाल और इंदौर में कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए कमिश्नर सिस्टम लागू करने का फैसला किया है.
बता दें कि अभी मध्य प्रदेश के किसी जिले में कमिश्नर सिस्टम नहीं है. पहली बार भोपाल और इंदौर में ही यह लागू होने जा रहा है.
क्या होता है कमिश्नर सिस्टम
बता दें कि जिन जिलों में कमिश्नर सिस्टम लागू नहीं है, वहां जिले में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी जिला पुलिस प्रमुख सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (SP) और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) के पास होती है. हालांकि इस व्यवस्था में कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों पर भी फैसला लेने के लिए एसपी को डीएम की इजाजत की जरूरत होती है. एसपी शासन के आदेश पर ही काम करते हैं. जिले में धारा 144 लगाने के लिए भी डीएम की इजाजत की जरूरत होती है.
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लेकिन कमिश्नर सिस्टम में कानून व्यवस्था से जुड़ी सारी शक्तियां पुलिस कमिश्नर के पास चली जाती हैं. लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े सारे मजिस्ट्रियल अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास आ जाते हैं और डीएम राजस्व से जुड़े काम तक ही सीमित रह जाते हैं. कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर के तहत जो अधिकार डीएम को मिले हुए हैं वो भी कमिश्नर सिस्टम में पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं.
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यही वजह है कि कमिश्नर सिस्टम में लॉ एंड ऑर्डर बेहतर रहता है क्योंकि पुलिस कमिश्नर खुद अहम फैसले ले सकते हैं. कमिश्नर सिस्टम लागू होने के पक्ष में ये तर्क दिया जा सकता है कि पुराने सिस्टम में कानून व्यवस्था ज्यादा बेहतर ना होने की वजह ये हो सकती है कि डीएम के पास इतना वक्त नहीं होता है कि वह कानून व्यवस्था पर पूरा ध्यान दे सकें. ऐसे में कमिश्नर सिस्टम लागू करने से कानून व्यवस्था पर पूरा फोकस रहेगा. हालांकि कई बार आईएएस लॉबी द्वारा कमिश्नर सिस्टम का विरोध भी किया जाता है.
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