केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड-19 नेशनल टास्क फोर्स ने कुछ शर्तों के तहत केवल मौखिक दवाओं जैसे रेमेडिसविर और टोसीलिज़ुमैब और इंजेक्शन स्टेरॉयड के उपयोग को लेकर कुछ दिशानिर्देश में सुधार किया है और नई गाइडलाइन जारी किया है।
संशोधित गाइडलाइन में कहा गया है कि भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदन प्राप्त करने वाली एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर को कोरोना के इलाज से बाहर रखा गया है। यह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से मंजूरी मिलने के बाद आया है।
नई गाइडलाइन्स में कहा है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के या हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशन, कोरोनरी धमनी रोग, मधुमेह (डायबिटीज), एचआईवी, सक्रिय तपेदिक, क्रोनिक फेफड़े, गुर्दे या यकृत रोग, सेरेब्रोवास्कुलर रोग या मोटापे जैसी स्वास्थ्य स्थितियों वाले लोगों या जिनको गंभीर रोग उनके लिए ये दवा उच्च जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे लोगों को एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर नहीं देनी है।
वहीं संशोधित गाइडलाइन के बारे में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भी जानकारी दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत संयुक्त निगरानी समूह (डीजीएचएस) ने भी इसे जारी किए हैं। उन्होंने ये भी कहा है कि एंटी इंफ्लामेटरी या इमम्युनोमोड्यूलेटरी उपचार पद्धतियों स्टेरॉयड के साथ यह भी जोखिम जुड़ा रहता है।
गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि इंजेक्शन मेथेपरेडनिसोलोन 0.5 से 01 एमजी केजी की दो विभाजित डोज में या इसके समान डेक्सामीथासोन की खुराक 5 से 10 दिनों तक मामूली हालात वाले मामलों में दी जा सकती है। वहीं इस दवा की 01 से 02 एमजी की खुराकों को इसी अवधि के लिए गंभीर मामलों में दिया जा सकता है।
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