संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी बोली कांग्रेस की वापसी के लिए हर बदलाव को तैयार कांग्रेस के सामने मुश्किल चुनौतियां

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संगठन के हर स्तर पर एकजुटता का आहृवान करते हुए कहा है कि राजनीतिक ताकत के रूप में पार्टी की फिर से वापसी के लिए जरूरी संगठनात्मक बदलावों पर कदम बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।


संगठन में बदलाव को लेकर आए सुझावों पर विचार किया जा रहा है क्योंकि कांग्रेस के सामने भविष्य की जो चुनौतियां हैं वैसी पहले कभी नहीं रही थीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की राजनीतिक पुर्नवापसी न केवल पार्टी बल्कि देश के लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक है और यह पार्टी कार्यकर्ताओं के साहस और धैर्य के लिए कठिन परीक्षा की घड़ी है। सोनिया गांधी ने पेट्रोल-डीजल की महंगाई, किसानों, सरकारी एजेंसियों के जरिए विपक्षी नेताओं के उत्पीड़न और सत्ताधारी दल के विभाजनकारी एजेंडे को लेकर भी एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला।


संसद के बजट सत्र के इस दूसरे चरण में पांच राज्यों के नतीजों के बाद पहली बार कांग्रेस संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि चुनाव परिणाम कांग्रेसजनों के लिए कितने निराशाजनक और दुखदायी रहे इसका उन्हें अहसास है। कार्यसमिति की बैठक में इन नतीजों की समीक्षा हुई और पार्टी के कई नेताओं से भी उनकी चर्चा हुई है। पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए उन्हें कई सुझाव मिले हैं जिन पर विचार किया जा रहा है और इसके लिए चिंतन शिविर का आयोजन जरूरी है, ताकि बड़ी संख्या में कांग्रेसजनों के विचारों और सुझावों को शामिल किया जा सके।


कांग्रेस के मुश्किल वक्त को रेखांकित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि पार्टी के भविष्य की राह में आज जैसी चुनौतियां हैं वैसी पहले कभी नहीं रही थीं और हमारी प्रतिबद्धता, दृढ़ता और साहस की कठिन परीक्षा होगी। पार्टी में असंतोष की उठ रही आवाजों को विराम देने की जरूरत बताते हुए कहा कि पार्टी में एकता सर्वोपरि है और यह सुनिश्चित करने के लिए वे हर कदम उठाने को तैयार हैं। सोनिया ने कहा कि कांग्रेस की राजनीतिक वापसी न केवल पार्टी के तौर पर हमारे लिए जरूरी है बल्कि यह हमारे देश के लोकतंत्र और समाज के लिए भी आवश्यक है।


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में अपने संबोधन के दौरान सोनिया गांधी ने एनडीए-भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सत्ता प्रतिष्ठान का देश को बांटने वाला ध्रुवीकरण का एजेंडा राजनीतिक विमर्श का स्थायी हिस्सा बन गया है। केवल प्राचीन इतिहास ही नहीं बल्कि वर्तमान से जुड़े तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। ऐसे में घृणा तथा पूर्वाग्रह फैलाने वाले तत्वों का हमें डटकर मुकाबला करना होगा। कांग्रेस सदियों से हमारे विविधतापूर्ण समाज को सौहार्द और सद्भभाव के डोर में बांधने वाले एकजुट रिश्ते को नुकसान नहीं पहुंचाने देगी।


इसी क्रम में कांगेस अध्यक्ष ने सरकारी एजेंसियों की पूरी ताकत का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं का उत्पीड़न किए जाने की बात उठाते हुए कहा कि जो सत्ता में हैं वो अधिक से अधिक भय पैदा करना चाहते हैं मगर ऐसी हरकतें हमारी आवाज बंद नहीं करा सकतीं। एमएसएमई क्षेत्र के साथ महंगाई की मुश्किलों का जिक्र करते हुए सोनिया ने पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, खाद्य तेल, उर्वरक आदि के दाम लगातार बढ़ाए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि आज कीमतें असहनीय रूप से बढ़ गई हैं। रोजगार की स्थिति निरंतर खराब हो रही है और मुश्किलों का सामना कर रहे कामगार वर्ग के पीएफ की ब्याज दर में कटौती कर दी गई है। संपत्ति मौद्रीकीकरण के फैंसी नाम पर सरकारी कंपनियों को बेचा जा रहा और नोटबंदी की तरह ही यह भी एक आपदा साबित होगा।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की गुट निरपेक्ष विदेश नीति पर सवाल उठाती रही भाजपा पर निशाना साधते हुए सोनिया गांधी ने यूक्रेन-रूस युद्ध से पैदा हुए हालात में भारत के इसी राह पर चलने की ओर इशारा किया। साथ ही कहा कि वे इस बात से खुश हैं कि गुटनिरपेक्षता पर आधारित हमारी विदेश नीति की बुनियाद को नए सिरे से खोज निकाला गया है।

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