स्व-सहायता समूह से जुड़कर मजदूरी करने वाली - श्रीमती मरावी

स्व-सहायता समूह से जुड़कर मजदूरी करने वाली - श्रीमती मरावी


हुई आत्म निर्भर - दूसरी दीदीयों की भी आमदनी बढ़ी



भोपाल जिले के विकासखण्ड फंदा के ग्राम सरवर में अनुसूचित जनजाति परिवार की मजूदरी करने वाली श्रीमती पारो मरावी स्व-सहायता समूह से जुड़कर आत्म निर्भर बन गई है। लक्ष्मी आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़कर श्रीमती मरावी ने किराने तथा जनरल स्टोर की दुकान खोली और आज उनका परिवार तो ठीक गांव की दीदियां भी सुखी जीवन जी रही है। 


  श्रीमती पारो मरावी बताती है कि समूह से जुड़ने से पहले वे मजदूरी का काम करती थी। आजीविका मिशन के माध्यम से लक्ष्मी आजीविका स्व-सहायता समूह में जुड़कर समूह से ऋण लेकर सबसे पहले किराने की दुकान खोली। दुकान से छोटी-छोटी आमदनी से घर परिवार को चलाने में मदद मिली। पारो मरावी ने कहा कि पहला ऋण चुकाने के बाद समूह से और ऋण लेकर किराना दुकान के साथ जनरल स्टोर भी चलाने लगी जिससे उनकी आमदनी अच्छी होने लगी और वे अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे से करने लगी। 


  श्रीमती मरावी बताती है कि सीसीएल बैंक ऋण के माध्यम से लक्ष्मी आजीविका मिशन स्व-सहायता समूह में दोना बनाने की मशीन ली गई जिससे स्व-सहायता समूह की सभी दीदीयों द्वारा कार्य किया जा रहा है। श्रीमती मरावी बताती है ‍कि इस सब से हुई आमदनी के माध्यम से गांव में आटा - चक्की भी लगाई गई है जिसमें उनके पति द्वारा कार्य किया जा रहा है। श्रीमती मरावी ने बताया कि गांव में आटा चक्की नहीं होने के कारण लोग दूसरे गांव में गेहूं आदि पिसवाने जाया करते थे। इस आटा चक्की से प्रतिदिन 500 रूपए की आमदनी प्राप्त हो रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और बच्चों को भी अच्छे स्कूल में पढ़ाई करा पा रही हूँ। वे कहती हैं कि अब मेरा परिवार आर्थिक एवं सामाजिक रूप से आत्म निर्भर हो गया है।

 

  श्रीमती मरावी ने बताया कि उन्होंने पोषण जागरूकता कार्यक्रम में भी काम किया है और घर-घर जाकर स्वास्थ्य एवं आहार के बारे में जानकारी दी है। समूह के माध्यम से आजीविका गतिविधियां बढ़ाकर आमदनी में वृद्धि हुई है। हर माह 15 से 20 हजार की आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि आजीविका समूह के सभी दीदीयों को 10 हजार से ऊपर की आमदनी प्राप्त हो रही है।


 वे कहती हैं कि मुख्यमंत्री जी के दिए हौसले और सुस्पष्ट नीति से उनके साथ ही गांव की अन्य महिलाएं भी इतनी आत्म निर्भर हुई है कि प्राय: सभी की आमदनी 10 हजार रूपए प्रतिमाह हो गई है। 

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