किसान मोर्चा द्वारा बयान जारी कर कहा गया कि कोरोना संकट काल में स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देने की बजाय कॉरपोरेट घरानों को खुश रखने के सभी प्रयास सरकार ने किए। आज भी बीजेपी के लिए चुनाव महत्वपूर्ण है न कि देश की जनता।
देशभर में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों ने शुक्रवार को एक बैठक की, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा ने निर्णय लिया कि किसानों के मोर्चो पर सेनिटेशन और साफ-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखा जाएगा। किसानों को मास्क बांटे जाएंगे। मोर्चा के अनुसार, प्रशासन ने धरने के आसपास वैक्सीनेशन सेंटर बनाए हैं। वहां किसान जाकर वैक्सीन लगवा सकते हैं। लक्षण दिखने पर जांच करवाई जाएगी। मोर्चो पर किसान पहले ही दूर-दूर खुले में रह रहे हैं। कहा गया है कि संयुक्त किसान मोर्चा कृषि कानूनों के खिलाफ होने के साथ-साथ कोरोना के खिलाफ भी लड़ रहा है।
किसान मोर्चा द्वारा बयान जारी कर कहा गया, "कोरोना लॉकडाउन में जब सब लोग घरों में कैद थे तब 'आपदा में अवसर' खोजते हुए, सरकार ने किसान विरोधी और जन विरोधी कृषि कानून देश पर थोपे। स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देने की बजाय कॉरपोरेट घरानों को खुश रखने के सभी प्रयास सरकार ने किए। आज भी बीजेपी के लिए चुनाव महत्वपूर्ण है न कि देश की जनता।"
बीजेपी नेताओं के पास यह विकल्प है कि वे चुनावी रैली करें या न करें, पर किसानों के पास विरोध करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। किसान अपना विरोध वापस ले लेंगे, अगर सरकार खेती कानून वापस ले और एमएसपी पर कानून बना दे।
सरकार कोरोना से लड़ने में असफल रही है। किसानों के धरनों से कितने लोगों को कोरोना हुआ है यह सरकार को सिद्ध करना चाहिए बजाय इसके कि किसानों के खिलाफ प्रोपगंडा फैलाएं। कोरोना महामारी का पिछली बार भी किसानों के खिलाफ प्रयोग किया गया था व अब भी हो रहा है।
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