वैक्सीन के बाद अब रेमडेसिविर के लिए मारा-मारी, इंदौर में गुस्साए लोगों ने किया चक्काजाम


कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि के बाद इसके इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली रेमडेसिविर दवा के इंजेक्शन की मांग भी बढ़ गई है। कहीं-कहीं तो इस इंजेक्शन की किल्लत भी देखने को मिली है। मध्य प्रदेश के इंदौर में भी रेमडेसिविर की दवा के लिए मेडिकल पर भारी भीड़ जमा हो गई। मेडिकल की दुकान नहीं खुलने और इंजेक्शन नहीं मिलने के बाद आक्रोशित लोगों ने बंद दवा दुकान के सामने मुख्य सड़क पर चक्काजाम कर दिया। 

इसके बाद दवा दुकान के बाहर पर्याप्त तादाद में पुलिस तैनात कर दी गई। चश्मदीदों ने बताया कि कोविड-19 के मरीजों के परिजन रेमडेसिविर के इंजेक्शन मिलने की उम्मीद में दवा बाजार की एक दुकान के सामने सूर्योदय के बाद से डट गए थे। लेकिन संचालक ने दुकान ही नहीं खोली।

दवा दुकान के बंद दरवाजे पर पोस्टर चिपका था- रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। चश्मदीदों के मुताबिक जब देर तक दवा दुकान नहीं खुली, तो इसके बाहर बड़ी संख्या में जमा लोगों के सब्र का बांध एकाएक टूट गया और उन्होंने मुख्य सड़क पर चक्काजाम कर दिया।

खेप नहीं पहुंचे नहीं खुली दवा दुकान
संयोगितागंज पुलिस थाने के प्रभारी राजीव त्रिपाठी ने बताया, कोविड-19 के मरीजों के परिजनों ने कुछ लोगों के बरगलाए जाने पर दवा दुकान के सामने मुख्य सड़क पर कुछ देर के लिए रास्ता रोका था। लेकिन हमने उन्हें समझा-बुझा कर जल्द ही चक्काजाम खत्म करा दिया। मौके पर तैनात थाना प्रभारी ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप नहीं आने से संचालक ने शुक्रवार सुबह दवा दुकान नहीं खोलने का फैसला किया।

नहीं मिल रहा रेमडेसिविर
बहरहाल, जल्द से जल्द रेमडेसिविर इंजेक्शन हासिल करने के लिए कोविड-19 मरीजों के परिजनों की बेचैनी इस बात से समझी जा सकती है कि सुबह से दवा दुकान बंद होने के बावजूद वे वहां डटे दिखाई दिए। इन लोगों में शामिल अमन गड़बड़ी (21) अपनी संक्रमित मां के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन लेने आए थे। लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी। 

सुबह से दुकान के बाहर भारी भीड़
गड़बड़ी ने बताया, मैं शुक्रवार सुबह छह बजे से दवा दुकान के बाहर कतार में लगा हूं, जबकि दुकान संचालक ने मेरे पिता को गुरुवार को टोकन देकर भरोसा दिलाया था कि हमें रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल जाएगा। आक्रोशित महाविद्यालयीन छात्र ने कहा, अधिकारी हमसे कह रहे हैं कि अभी जब रेमडेसिविर इंजेक्शन है ही नहीं, तो इसे कैसे प्रदान किया जा सकता है। क्या हमने यही बात सुनने के लिए सरकार चुनी थी?

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