कोरोना की वजह से जिन लोगों की नौकरी छूट गई है, उन्हें दोबारा मुश्किल से रोजगार मिलेगा। वहीं, असंगठित क्षेत्र में नौकरियां जल्द मिलने लगेंगी, लेकिन क्वालिटी जॉब और संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर बनने में एक साल तक का वक्त लगेगा। अब इकोनॉमी खुलने लगी है। इससे बेरोजगारी की समस्या थोड़ी-बहुत सुलझेगी, लेकिन समस्या पूरी तरह से खत्म नहीं होगी। इस समय मार्केट में लेबर पार्टिसिपेशन रेट घटकर 40% पर आ गया है। महामारी से पहले यह रेट 42.5% था।
व्यास ने कहा कि 3-4% की बेरोजगारी दर हमारी इकोनॉमी के लिए सामान्य है। आगे बेरोजगारी दर में कमी आएगी। CMIE ने अप्रैल में 1.75 लाख परिवारों पर एक देशव्यापी सर्वे किया था। सर्वें में पिछले एक साल में कमाई का परेशान करने वाला ट्रेंड सामने आया था। इसमें केवल 3% परिवारों ने अपनी आय बढ़ने की बात कही थी, जबकि 55% ने कहा था कि उनकी इनकम गिरी है। बाकी 42% ने कहा था कि उनकी इनकम में कोई बदलाव नहीं आया है। इसे अगर महंगाई के लिहाज से 97% परिवारों की कमाई घट गई है।
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