मोदी सरकार में हाल ही में मंत्री बनाई गईं मीनाक्षी लेखी ने दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों को मवाली कह डाला है। उन्होंने कहा है कि जो प्रदर्शन कर रहे हैं वे किसान नहीं है। नई दिल्ली सीट से सांसद मीनाक्षी लेखी ने 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा का जिक्र करते हुए यह भी कहा है कि प्रदर्शनकारियों का राजनीतिक एजेंडा है। मीनाक्षी लेखी के इस विवादित बयान को लेकर सोशल मीडिया पर हंगामा मचने लगा है और कई यूजर्स लेखी के इस्तीफे की मांग करने लगे हैं। उधर, टिकैत ने मवाली कहे जाने पर कहा कि किसानों के लिए इस तरह की बात नहीं कहनी चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, ''मवाली वे हैं, जो कुछ नहीं करते हैं। किसानों के लिए इस तरह की बात कहना ठीक नहीं है। हम किसान हैं, मवाली नहीं। किसान अन्नदाता हैं।'' किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, ''इस तरह का बयान 80 करोड़ किसानों का अपमान है। यदि हम मवाली हैं, मीनाक्षी लेखी को हमारे द्वारा उपजाए अनाज को खाना बंद कर देना चाहिए। उन्हें शर्म आनी चाहिए। हमने उनके बयान की आलोचना करते हुए 'किसान संसद' में प्रस्ताव पास किया है।''
संसद में मानसून सत्र के बीच केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने मध्य दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर गुरुवार को प्रदर्शन किया। पुलिस ने मध्य दिल्ली के चारों ओर सुरक्षा बढ़ा दी है और वाहनों की आवजाही पर कड़ी नजर रखी जा रही है। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अधिकतम 200 किसानों को नौ अगस्त तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है। संसद भवन इससे कुछ ही मीटर की दूरी पर है। पुलिस की सुरक्षा के साथ 200 किसानों का एक समूह बसों में सिंघू बॉर्डर से जंतर-मंतर पहुंचे। किसान यहां अपनी पहचान उगागर करने वाले बैज पहने और हाथ में अपनी यूनियनों के झंडे लिए हुए नजर आए।
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