उन्होंने आगे कहा, “जो लोग ऐसा सोच रहे हैं कि मैं बीजेपी में जा सकता हूँ, उन सभी से मेरा विनम्र आग्रह है कि वे इस कल्पनाशील विचार को त्याग दें. मेरी प्रतिबद्धता कांग्रेस पार्टी के साथ है.”
मैंने अपने पिता से बहुत कुछ सीखा
अजयसिंह ने अपने पिता के राजनीतिक कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा प्रतिपक्ष का सम्मान किया. प्रतिपक्ष के सुझावों को वे हमेशा ध्यान से सुनते थे और आलोचनाओं से कभी विचलित नहीं होते थे. लोकतंत्र की स्वस्थ परम्पराओं का उन्होंने हमेशा पालन किया. भले ही विचारधाराएं अलग-अलग हों लेकिन उन्होंने प्रदेश के विकास में इसे कभी आड़े आने नहीं दिया, यही कारण है कि प्रदेश में बीजेपी सरकार के समय केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने मध्यप्रदेश को जो दिया वह हमेशा याद किया जाएगा. मैंने अपने राजनीतिक जीवन में उनसे बहुत सीखा है.
लोकतंत्र में वैमनस्य की जगह नहीं
उन्होंने आगे कहा कि मेरे मंत्री रहते हुए बीजेपी के बहुत से विधायक मुझसे क्षेत्र के काम के सिलसिले में मिलते रहते थे और मैं सहर्ष उनकी समस्याओं को हल करता था. उनमें कई अभी वर्तमान में मंत्री हैं. इसी तरह मैं भी अपने क्षेत्र की समस्याओं और जनता के काम लेकर बीजेपी सरकार के मंत्रियों से मिलता रहता हूँ. प्रतिपक्ष दुश्मन तो है नहीं, लोकतंत्र में वैमनस्य का कोई स्थान नहीं है. ऐसे में किसी मुलाकात को यह नहीं मान लेना चाहिए कि मैं पार्टी छोड़ रहा हूं
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