आदिवासियों को रिझाने में लगी शिवराज सरकार, जल्द ही सिलेबस में शामिल होंगी जनजातीय बोलियां


आदिवासियों को सूदखोरों के चंगुल से निकालने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा. इसके लिए सरकार अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम 2020 लागू कर चुकी है, लेकिन अब इसका क्रियान्वयन प्रभावी तरीके से किया जाएगा.

मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में 2023 में विधानसभा चुनाव( 2023 vidhansabha election mp) है. शिवराज सरकार विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अब प्रदेश के आदिवासियों पर फोकस कर रही है. सरकार ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित बैकलॉग पदों को भरने की कवायद तेज कर दी है. इसी के ही साथ जनजातीय भाषा और बोलियों को प्राइमरी के सिलेबस में शामिल करने की भी तैयारी की जा रही है. यही नहीं, आदिवासी बाहुल्य जिलों में 6वीं से कौशल विकास और रोजगार से जुड़े विषय भी सिलेब्स में जोड़े जाने पर जोर दिया जा रहा है.

सूत्रों की माने तो सीएम शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chauhan) 18 सितंबर को गोंड राजा रघुनाथ शाह-शंकर शाह के शहीद दिवस पर जबलपुर में होने वाले कार्यक्रम में आदिवासियों के लिए कई ऐलान कर सकते हैं. वहीं आदिवासी गौरव दिवस पर 66 दिन के कार्यक्रम आयोजित करने का रोडमैप तैयार किया जा रहा है. इसकी शुरुआत 18 सितंबर को जबलपुर से की जाएगी. कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद रहेंगे.

सामुदायिक वनों के प्रबंधन के अधिकार ग्राम सभा को देने की भी हो सकती है घोषणा

आदिवासियों को सूदखोरों के चंगुल से निकालने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा. इसके लिए सरकार अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम 2020 लागू कर चुकी है, लेकिन अब इसका क्रियान्वयन प्रभावी तरीके से किया जाएगा. सहकारी संस्थाओं में अध्यक्ष के पद पर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति की नियुक्ति का प्रावधान किए जाने के लिए सहकारी अधिनियम में भी संशोधन का प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा, वनाधिकार अधिनियम के तहत सामुदायिक वनों के प्रबंधन के अधिकार ग्राम सभा को देने की घोषणा भी मुख्यमंत्री कर सकते हैं.

स्कूल शिक्षा के माध्यम से आदिवासी युवाओं को रोजगार से जोड़ने की कोशिश

जानकारी के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आदिवासी बाहुल्य जिलों के 40 हजार छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है. इससे पहले 20 जिलों के 89 आदिवासी ब्लॉकों के करीब 2800 स्कूल सरकार ने बंद कर दिए थे. जिस कारण सरकार को आदिवासी समाज की नाराजगी झेलना पड़ी थी. अब सरकार की कोशिश स्कूली शिक्षा के साथ आदिवासी युवाओं को जोड़ने की है. इसके लिए सरकार रोजगार संबंधी कोर्स शुरू करने जा रही है.

बता दें कि आदिवासी बहुल इलाके मिलाकर विधानसभा में 84 क्षेत्र आते हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 84 में से 34 सीट पर जीत हासिल की थी.

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