प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी कि आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट हैं. जहां सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय किंग मेकर की भूमिका में नजर आता हैं
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) के मद्देनजर BJP और कांग्रेस ने मिशन 2023 के लिए जमीनी तैयारियां शुरू भी कर दी हैं. इसी के चलते अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने के मामले में होड़ लेने के लिए दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर हमलावर हो गए है. हालांकि दोनों ही पार्टियों एक बार फिर आदिवासी वोट बैंक को साधने में लगी हुई हैं.
दरअसल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ आज बड़वानी जिले में आदिवासी अधिकार यात्रा का शुरुआत करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित जबलपुर में 18 सितंबर को अभियान की शुरुआत करेंगे. वहीं, बीजेपी ने अमित शाह के कार्यक्रम के लिए 18 सितंबर को इसलिए चुना है, क्योंकि इसी दिन साल 1858 को अंग्रेजों ने गोंड राजा रघुनाथ शाह और शंकर शाह को तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया था. इसी दौरान अमित शाह आजादी-75 और आधुनिक भारत कार्यक्रमों का शुभारंभ करेंगे. इस कार्यक्रम में दोनों बलिदानियों का आदिवासी समुदाय में काफी प्रभाव रहा है. इसलिए दोनों ही पार्टियां वोट साधने में लग गई है.
आदिवासी वोट बैंक को रिझाने में लगी बीजेपी और कांग्रेस
वहीं. प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी कि आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट हैं. जहां सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय किंग मेकर की भूमिका में नजर आता हैं. वहीं, साल 2003 के पहले आदिवासी वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता रहा था, लेकिन बीते कुछ सालों से बीजेपी ने इसमें सेंध लगा दी है. इसलिए आदिवासी कांग्रेस से दूर हो गए है. जहां साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 आदिवासी सीटों में से 30 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी को 16 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था.
BJP आदिवासी क्षेत्रों में जयस के रोकने की कर रही तैयारी
गौरतलब है कि जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) का मालवांचल में तेजी से प्रभाव बढ़ रहा है. इसलिए बीजेपी इन क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए बड़े-बड़े आयोजन कर रही है. यह क्षेत्र विधानसभा और लोकसभा सीटों के लिए आदिवासी बहुल इलाके का है. जिसमें, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया आदि जिलों में आदिवासी जनसंख्या ज्यादा है. जहां मंडला और शहडोल लोकसभा की सीट आदिवासी क्षेत्र हैं, तो 15 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर यह लोग जिताने वाले वोटर होते है. वहीं, जयस अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने के लिए महाकौशल-विंध्य की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में आगामी चुनाव के समय इस वर्ग को साधनें में बीजेपी जुट गई है.
बड़वानी में कांग्रेस निकालेगी 6 सितंबर को आदिवासी अधिकार यात्रा
बता दें कि इस दौरान पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस, आदिवासी वोटरों को रिझाने के लिए अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है. बीते अगस्त में डेढ़ दिन चले विधानसभा सत्र के दौरान भी देखा गया कि विश्व आदिवासी दिवस के मुद्दे को कांग्रेस ने जमकर विधानसभा में उठाया. ऐसे में अब कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. वहीं, कांग्रेस 6 सितंबर को बड़वानी में आदिवासी अधिकार यात्रा निकालने जा रही है. जहां इस आयोजन के बहाने कांग्रेस बड़वानी और उससे लगे आधा दर्जन सेज्यादा जिलों को अपनी ओर करने की कोशिश में लगी हुई है.
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