देश के नागरिक उडडयन मंत्री श्रीमंत ज्योतिराद्वित्य सिंधिया के पूर्वजों के प्राचीन इमामबाड़े और मप्र के राजभवन से लेकर मंत्रालय वल्लभ भवन, सीएम हाउस से लेकर पीएचक्यु तक के नुमाइंदे मताधिकार से वंचित ,मप्र वक्फ बोर्ड चुनाव अधिकारी की नियुक्ति को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है,
भोपाल। म प्र सरकार के पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के आधींन एक लाख 80 हज़ार करोड़ की बेशकीमती सार्वजनिक सम्पत्ती वाले मप्र वक्फ बोर्ड के प्रस्तावित चुनाव को लेकर अब खुलकर सियासी दांव पेंच आज़माये जा रहे हैं हालांकी पहले की तरह विधिवत गज़ट नोटीफ़केशंन अभी तक नहीं किया गया है मगर आगामी दिनों में होने वाले इस प्रतिष्ठापूर्ण और अहम चुनाव के लिये सरकार द्वारा नियुक्त चुनाव अधिकारी वरिष्ठ आई एफ एस श्री हिदायत उल्लाह ने हुकुमत के सामने अचानक अपनी बीमारी का मामला पेश कर यह चुनाव कराने से ही इंकार कर दिया है तो शासंन नें अब उनके स्थान पर अचानक एक रिटायर्ड अफसर श्री दाउद खान को बोर्ड का नया चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है, उनकी नियुक्ती पर नया विवाद खड़ा हो गया है उनके खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार के अनेक मुकदमें दर्ज हैं जबकि इस चुनाव में प्रदेश के कई बड़े वक्फों के नुमाइन्दों को जानबूझकर मताधिकार से ही वंचित कर दिया गया। चुनाव प्रक्रिया से बाहर रखे जाने वाले रजिस्ट्रड वक्फों में श्रीमंत सिंधिया के ग्वालियर और इन्दौर के होलकर के इमामबाड़ों तथा राजभवन से लेकर सीएम हाउस तक और मंत्रालाय वल्लभ भवन से लेकर पीएचक्यू और जेएचक्यू तक की मस्जिदों की कमेटियां भी शामिल हैं। वक्फ बोर्ड सूत्रों का कहना है कि वक्फ अधिनियम 1995 के मुताबिक बोर्ड में पंजीकृत 14863 सभी मुतावल्लीयों, पदाधिकारियों को बोर्ड के ओहदेदार चुनने का कानूनी अधिकार हासिल होता है। लेकिन इस चुनाव में भारतीय मतदाता अधिनियम1965-2021 का भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है जिसकी शिकायतें मुख्य मंत्री,और दिल्ली तक पहुँच चुकी हैं , बताया जा रहा है कि नियमों की गलत व्याख्या करने के साथ ही बोर्ड के दोषी अफसरों द्वारा इस मतदान प्रक्रिया में केवल उन्हीं मनपसंद वक्फों के नुमाइन्दों को ही शामिल किया जा रहा है, जिनकी सालाना आमदनी एक लाख रुपए से ज्यादा बताई गई है। इस तथाकथित और अलिखित नियम को भी और अधिक जटिल बनाते हुए चुनाव में सिर्फ ऐसे मुतावल्ली शामिल किए जा रहे हैं, जिन पर चंदा निगरानी की कोई राशि बाकी नहीं है। इस मनमाने नियम का असर ये हुआ कि प्रदेशभर की 14 हज़ार 863 वक्फ कमेटियों में से केवल 126 मुतावल्लीयों को ही मताधिकार का हक दिया गया है। यानी कुछ अमीरों को तो वोट देने का हक होगा मगर हज़ारों गरीबों मध्यमवर्गिय वोटर्स को वंचित कर दिया गया है.ऐसा मामला शायद पहली बार होने जा रहा है .
आल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीरज़ादा डा औसाफ शाह मीर खुर्रम मियाँ चिश्ती ने वक्फ बोर्ड अफसरों के इस तरह मनमाने चुनाव कराने के असंवैधानिक तरीके पर कई स्टीक कानुनी सवाल उठा कर कई सरकारी और बोर्ड के अफसरों की भी नींद उड़ा दी है , वोटर लिस्ट में साजिश करके की गई गलतियों को लेकर अब वक्फ बोर्ड के दोषी अफसर अपनी नौकरी बचाने में लगे हुएे हैं , बहरहाल अब हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद तय होगा कि चुनाव अगस्त में होंगे या आगे बढ़ते हैं ,
वोटर लिस्ट से हटाए गए कई नामवर वक्फ और किसी वक्फ में एक के बजाय दो दो लोगों को अवैध रूप से वोटर बनाया गया है , वक्फ औबेद उल्लाह खान भोपाल से दो लोगों को गैर कानूनी ढंग से मताधिकार दे दिया जबकि प्रत्येक वक्फ से केवल एक ही को वोट देने का कानुनी हक हासिल होता है ,
वक्फ सूत्रों का कहना कि अफसरों के द्वारा नियमों की तथाकथित नई व्याख्या करने से राजभवन परिसर स्थित मस्जिद के सदर जिम्मेदारों से लेकर सीएम हाउस के पास की मस्जिद के मुतावल्ली तक को मतदान से वंचित कर दिया गया है। इसी तरह मप्र विधानसभा, मंत्रालाय वल्लभ भवन और पीएचक्यू,जेएचक्यू परिसर में बनी मस्जिदों की कमेटियों के मुतावल्लियों को और केन्द्रीय उडड्यन मंत्री श्री ज्योतिराद्वित्य सिंधिया के पुर्वजों के ग्वालियर के प्राचींन इमामबाड़े तथा इन्दौर के राजा होलकर के प्राचीन इमामबाड़े के ओहदेदारों को भी बोर्ड के चुनाव में शामिल होने से षड़यंत्रपूर्वक दूर कर दिया गया है। भोपाल की पुरानी और नई ज़िला अदालत के करीब और सेना की सुल्तानिया इन्फेंट्री तथा 3 ईएमई सेंटर की मस्जिदों की कमेटियों के नुमाइन्दों भी मतदान प्रक्रिया से बाहर ही रखा गया है। बोर्ड अफसरों की इस तानाशाही और मनमानी को राजभवन, सीएम हाउस, मंत्रालय की प्रतिष्ठा को धुमिल करने का घटिया प्रयास निरूपित किया जा रहा है ..
मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा मतदान के लिए जारी वोटर्स की मुतावल्ली सूची में शामिल कई नामों पर भी कानुनी आपत्तियां जताई जा रही हैं । यह भी कहा जा रहा है कि इन कमेटियों के जिम्मेदारों पर करोड़ों रु के आर्थिक अनियमितता के अलावा करोड़ों के भ्रष्टाचार तथा आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। ऐसे में इन कमेटियों के वजूद को लेकर ही संशय है। और ऐसे हालात में इनके मतदान करने या मुतावल्ली मेंम्बर चुनाव में भागीदारी होने को ही अवैधानिक बताया जा रहा है।
मप्र वक्फ बोर्ड ओहदेदारों के चुनाव के लिए अभी नई तारीख तय नहीं की गई है। जिसके चलते प्रदेश भर से वोटिंग के लिए आने वाले मुतावल्लियों, नुमाइन्दों में शामिल अनेक मस्जिदों, इमामबाड़ों, दरगाहों ,करबला मुकामों और खानकाहों , हुसैंन टेकरी आस्तानों के जिम्मेदारों को भी बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। प्रदेश के कई जिलों में मौजूद अकीदतमंद मुहर्रम माह में सफर करने से भी गुरेज़ रखते हैं। मगर चुनाव की वजह से इन लोगों को अपने इन परम्परागत नियमों को तोड़कर घर से भी बाहर जाना पड़ सकता है।अचानक बदला चुनाव स्थल.. हालाँकी पूर्व में तय किए गए कार्यक्रम के मुताबिक वक्फ बोर्ड चुनाव चार इमली स्थित वन भवन में होना था। लेकिन इस जगह को अब अचानक बदल दिया गया है। अब चुनाव प्रक्रिया एयरपोर्ट रोड स्थित हज हाउस में संपन्न कराई जाएगी। सुबह से देर शाम तक चलने वाली इस प्रक्रिया के तहत पहले मुतावल्ली श्रेणी के मेंम्बर का चुनाव होगा। इसके बाद सांसद, विधायक और स्टेट बार काउंसिल के मेंम्बर के अलावा इस्लामिक धार्मिक उलेमा यानी काज़ी, इमाम, मुफ़ती, मुअल्लिंम और सामाजिक श्रेणी के म.प्र शासंन द्वारा नामांकित मेंम्बर मिलकर बोर्ड अध्यक्ष के रूप में किसी एक व्यक्ति के नाम का चयन करेंगे। इस चुनाव में बोर्ड अफसरों द्वारा अपनाये जा रहे असंवैधानिक तरीके पर भी कई कानुनी सवाल उठा जा रहे हैं , मंत्रालय और दिल्ली में निरंतर शिकायतें पहुँच रही हैं, अब आगे देखिये क्या होता है ! बहरहाल यह चुनाव वक्फ बोर्ड के इतिहास का अनोखा मामला बनता जा रहा है !
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