साथी हाथ बढ़ाना की तर्ज पर ग्रामीणों ने बनाई गौशाला में 120 से अधिक गायों को मिला आश्रय
मन में अगर नेक इरादा और सेवाभाव हो तो समाजिक सरोकार से जुड़ने और उसे पूरा करने की राह आसान हो जाती है। समाज सेवा के प्रकल्प में लोग जुड़ते चले जाते हैं और कारवां बनता चला जाता है। समाज सेवा के लिये किए गए कार्य या योगदान से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होती है सेवा की भावना जो दूसरों को प्रेरणा देती है।
भोपाल संभाग के रायसेन जिले की सिलवानी तहसील के ग्राम जैथारी के श्री कमलेश लोधी के मन में आवारा गायों के प्रति हो रही हिंसा को देखकर अस्थायी गौशाला बनाने का विचार आया। यह विचार उन्हें तब आया जब उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति आवारा गाय को डंडे से बड़ी बेरहमी से पीटते हुए खेत से भगा रहा था। उन्होंने गांव के अन्य लोगों से बात की और समझाया कि थोड़े से सहयोग से गांव और आसपास के आवारा पशुओं के लिये आस्थायी गौशाला बनाकर उन्हें चारा-पानी और आश्रय देकर खेतों में लगी फसलों को आवारा पशुओं से होने वाले नुकसान और सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।
श्री कमलेश लोधी ने गांव के अनेक लोगों से आवारा गायों के लिए चारा-पानी और आश्रय की बात की। सेवा के इस काम से लोग जुड़ते गये और एक अस्थायी गौशाला बनकर तैयार हो गयी। गौशाला के लिये श्री जसवंत धाकड़ ने अपनी निजी भूमि दी, किसी ने लकड़ी, किसी ने प्लास्टिक तिरपाल तो किसी ने चारे-पानी की व्यवस्था की और गौशाला तैयार हो गयी, बिना किसी शासकीय सहयोग के।
इस गौशाला में 120 गायें हैं। इन गायों की देखरेख के लिये तीन लोगों को रखा गया जो दिन भर गायों को चारा-पानी देते हैं और पूरी देखरेख करते हैं। जन सहयोग से इस गौशाला का संचालन हो रहा है। इस गौशाला को बनाने और चलाने के लिये ग्रामवासी श्री विजय, श्री रामलखन घाकड़, श्री वीरेन्द्र धाकड़, श्री भोजराज राजपूत, श्री मोहन मुरारी, श्री महेश पाल, श्री संजय, श्री गंगाराम चौधरी सहित अनेक ग्रामवासी सहयोग दे रहे हैं।
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